योग में सेहत के साथ स्वरोजगार - Yoga Teacher Training & Therapy

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  प्राचीन सनातन योग पद्धति के जरिए चिकित्सा और बेसिक अभ्यास में मास्टरी

प्राचीन समय में जब चिकित्सा के दूसरे पुख्ता इंतजाम नहीं थे, वैद्य या डॉक्टर या फिर चिकित्सालय व अस्पताल नहीं थे तब भी लोग योग के जरिए ज्यादा सेहतमंद व शांत थे। सनातन के ऋषियों-मुनियों ने उन पद्धति को तपबल से तलाश लिया था जिससे तन-मन का कायाकल्प तो होता ही था, दिव्य आध्यात्मिक शक्तियों को भी संजो कर रख पाते थे। ऋषियों ने पाया कि मानव कई प्राकृतिक व दूसरे किस्म के आघातों को झेलता रहा है और इन परेशानियों से गुजर कर शरीर ने जाना है कि खुद को कैसे स्वस्थ व शांत रखा जा सकता है। इन्हीं अनुभूतियों के आधार पर सनातन के योग का सृजन हुआ। 

योग में जब हुआ पश्चिमी एक्सरसाइज़ मिलावट !

सनातन के योग संजीवनी ने अनवरत हजारों साल से हमें दिव्यता व परम स्वास्थ्य से संरक्षित रखा। पश्चिमी देशों की गुलामी के साथ हमने अपनी सनातन योग विरासत को साइड किया और दूसरे वैकल्पिक चिकित्सा माध्यम को अपनाया जाने लगा। समय की यात्रा में चिकित्सा के ये विकल्प बहुत बेहतर साबित नहीं होने लगे। आधुनिक चिकित्सा एक समस्या को थोड़ा तो कम करती है लेकिन कई दूसरी तन-मन समस्या को जन्म भी देती है। ऐसे में लोग फिर से योग की ओर अग्रसर होते नज़र आए। इस बीच पश्चिमी बाजारवाद की मानसिकता योग पर भी हावी हो गई। योग में ऐसे संस्था व लोग जुड़े जिसने प्राचीन सनातन योग को बाजार के हित में मिलावट का शिकार बना दिया। पश्चिमी सभ्यता से प्रेरित होकर सनातन योग की वास्तविक पद्धति को बदल उसे एक्सरसाइज़ का रूप दिया गया। कैलोरी बर्निंग के नाम पर स्थिरं सुखमं वाले योगासन को उछलकूद में तो धीमी-गहरी सांस पद्धति के प्राणायाम को जल्दी छोटी सांस क्रियाओं में बदल दिया गया। मार्केट के गुरुओं ने योग के नाम पर पश्चिमी एक्सरसाइज व भ्रमों का बोलबाला कर महज अपना उल्लु सीधा किया और आम जनमानस हर दिन ज्यादा से ज्यादा बीमार और दवा या जड़ी बूटियों पर निर्भर होता चला गया । एक दवा की जगह दूसरे दवा या बूटियों ने जगह तो ली, लेकिन आम लोगों की रोग-बीमारी , तन-मन की परेशानी व व्याधियां वहीं थी। 

सनातन योग का फिर से नवसृजन

ऐसे में फिर से सनातन योग के सृजन के संकल्प के साथ वशिष्ठ योगाश्रम के योगगुुरु धीरज ने योगबली अभियान का पुनर्स्थापन किया। यूट्यूब पर Yog Guru Dheeraj चैनल से लेकर कई योग शिविरों के जरिए सनातन ऋषियों की पद्धति से योगासन, प्राणायाम , ध्यान व योग चिकित्सा के गुर सिखाएं व परोसे जाने लगे। इसी कड़ी में वशिष्ठ योगाश्रम योग टीचर ट्रेनिंग , जीवन रूपांतरण साधना शिविर जैसे आवासीय शिविर के बाद एक नए आवासीय कोर्स को लेकर आई है। सनातन के सात दिन नाम से ये योग ट्रेनिंग कोर्स प्राचीन योग को वास्तविक स्वरुप में आमजन तक पहुंचाकर उनके तन-मन व आध्यात्म का पूर्ण रूपांतरण करने के लक्ष्य से प्रकट किया गया है 

सनातन के सात दिन : क्या-क्या सीखेंगे आप ?

सनातन के सात दिन आवासीय शिविर खासकर ऐसे साधकों के लिए तैयार किया गया है जो कम वक्त में सनातन योग की सुगंध को महसूस कर लेना चाहते हैं। ऐसे साधक सीधे योगगुरू धीरज के सान्निध्य व मार्गदर्शन में प्राचीन योग पद्धति व चिकित्सा लाभ को गागर में सागर की तरह शिविर में हासिल कर पाएंगे। इस शिविर के जरिए सनातन ऋषि मुनियों की आधारभूत साधना पद्धति पर आपकी मास्टरी करवाई जाएगी। आगे इन साधना को सीख आप निरंतरता से अपनी स्व-साधना करेंगे और सदा-सर्वदा स्वस्थ तन-मन व निरोगी आध्यात्मिक काया के मालिक होंगे। जानते है शिविर के दौरान मुख्य साधनों तत्व, जिसपर ज्यादा फोकस रहेगा :- 

आसन में एलाइन्मेंट की सीख

आसन महज किसी खास स्थिति में शरीर को मोड़ना या झुकाना नहीं होता है। सनातन ऋषियों ने आसन को शरीर के प्राण-मार्ग को खोलने, मजबूत करने की पद्धति के रूप में तैयार किया था। प्राचीन योगियों ने पाया कि जहां-जहां सूक्ष्म प्राणिक ऊर्जा नहीं पहुंचती वो अंग बीमार होना शुरु हो जाता है। विभिन्न आसनों के जरिए इन अंगों में प्राण शक्ति का संचार कर उसे स्वस्थ बनाए रखा जाता है। आसन से मांसपेशियों की मजबूती, शरीर का लचीलापन, नर्वस सिस्टम व रक्त संचार की स्थिति में मजबूती इसके अन्य दूसरे प्रयोजन रहे। जब हम आसन को एक्सरसाइज़ रूप में करते है, जैसा इन दिनों ज्यादातर जगहों व संस्थानों पर होता है, तो हम महज थकते है, प्राण जागरण व चिकित्सा नहीं हो पाता। सनातन के सात दिन में ऐसे करीब 40 से 50 आसन को सही सही तरीके यानी एलाइन्मेंट के साथ करने का गुर आप सीखेंगे जिससे आपके पूर्ण अंग-प्रत्यंग की चिकित्सा सुनिश्चित होगी।

प्राणायाम का प्रचंड पॉवर

आसन अभ्यास के बिना प्राणायाम की साधना वैसी ही जैसे बिना थाली के भोजन करना। आसन हमारी उस पात्रता को बढ़ाता है , जहां प्राण का प्रचंड संग्रह हो। जैसे बंद रूम में भी हम सांस लेते है व जीवित रहते है लेकिन खुली प्राकृतिक हवा में जो ऑक्सीजन का लाभ होगा उसका कोई जोड़ नहीं। ठीक उसी तरह बिना आसन किेए भी प्राणायाम लाभ देगा लेकिन वो बंद कमरे जैसा, खुले वातावरण जैसा नहीं। दूसरी बात प्राणायाम की सही सीख समझनी जरूरी है। प्राण और आयाम इन दो शब्दों के मेल से बना है प्राणायाम यानी प्राण ऊर्जा का विस्तार है प्राणायाम। सनातन के ऋषियों ने सांकेतिक रूप में कहा कि हमारी सांस की संख्या तय है, उतना ही हमारा आयुष होगा, जितना हम लंबी गहरी सांस लेंगे उतना ज्यादा हम काउंटिंग को जल्दी पूरा नहीं करेंगे यानी आयु लंबी होगी। इसलिए सारे प्राणायाम की पद्धति ऐसी बनी जिसमें लंबी व गहरी सांस की प्रणाली का समायोजन किया गया। ये भी ऋषियों ने पाया कि जितनी हमारी सांस की गति धीमी व गहरी होती है हमारा मन उतना शांत व सांस तेज गति होने से उतनी मन की परेशानी बढ़ती है

चले वाते चलं चित्तं निश्चले निश्चलं भवेत्

प्राणों के चलायमान होने पर चित्त भी चलायमान हो जाता है और प्राणों के निश्चल होने पर मन भी स्वत: निश्चल हो जाता है – हठयोग प्रदीपिका 2.2

सनातन के सात दिन में प्राणायाम की ऐसी कई सनातन ऋषियों की सीख से आप रूबरू होंगे।

योग अभ्यास क्रम का विज्ञान

योग अभ्यास विज्ञान भी है और कला भी। विज्ञान इस अर्थ में कि जो नियम एक के लिए है वो सबके लिए लागू है और सबको एक जैसा रिजल्ट भी आना तय है। कला के मायने से देखें तो व्यक्ति या जरुरत के हिसाब से उसका गढ़ना। जैसे कोई अमूक आसन आप करने में सक्षम नहीं है तो उसे कैसे सरल व सहज बनाया जाए या फिर कोई वैकल्पिक आसन बताया जाए ताकि उस आसन के लाभ को बिना परेशानी के हासिल किया जा सके- ये योग शिक्षण व अभ्यास की कला है। हमारा योग अभ्यास चाहे 15 मिनट का हो, 30 का या फिर एक घंटे का -वो एक व्यवस्थित साइंटिफिक क्रम में हो तभी ज्यादा से ज्यादा लाभ देने में सक्षम हो पाएगा। सनातन के सात दिन शिविर में आप योग अभ्यास को प्रतिदिन एक उत्कृष्ट क्रम में करने के विज्ञान व कला को सीख पाएंगे। आखिर सही क्रम का होना क्यों जरूरी है ? योग अभ्यास को सही क्रम में करने से आपका शरीर, सूक्ष्म नाड़ियां बेहतर तल पर आगे की आसन के लिए तैयार हो पाती है, किसी तरह की परेशानी अभ्यास में घटित नहीं होती, नाड़ियों में प्राण का फ्लो ज्यादा बेहतर होता है और अभ्यास का लाभ कई गुणा ज्यादा मिल पाता है 

यौगिक विश्राम का लाभ

रोजमर्रा की जिंदगी में हम इतने भागदौड़ व खटपट में होते है कि गहरी विश्राम हम कभी महसूस नहीं कर पाते। डीप रिलेक्शेसन की कमी में हमारा शरीर रिपेयर नहीं हो पाता और धीरे धीरे हम बीमार और आंतरिक अंगों व कार्यप्रणाली बाधित होनी शुरु हो जाती है। सनातन के सात दिन में यौगिक विश्राम की सीख पर जोर है। अभ्यास के साथ और बाद में भी इस गहरे विश्राम की कला को आप सीखते और साधते है। ये विश्राम जोड़ों-मांसपेशियों के दर्द, अपचन, अनिंद्रा, तनाव, डिप्रेशन और दूसरे कई अन्य शारीरिक-मानसिक समस्या को काबू करने में काफी मदद पहुंचाते है। शिविर को सातों दिन आप यौगिक विश्राम की स्थिति को महसूस कर पाएंगे।

योग दर्शन व विज्ञान की समझ

सनातन के सात दिन शिविर में करीब 50 घंटे की ट्रेनिंग आप पाएंगे। हर दिन 7 घंटे ट्रेनिंग की समयावधि निर्धारित की गई है। इसमें हर दिन साढ़े चार घंटे सुबह शाम योगाभ्यास तो थ्योरी के तल पर करीब ढाई घंटे का सत्र रहेगा। इन सत्रों से आप योग के लॉजिकल पक्ष को समझ पाएंगे। आप जान पाएंगे कि किस आसन में कम सांस लेना है, किस आसन की कैटेगरी से क्या लाभ पहुंचता है, शरीर क्यों बीमार पड़ता है, उसे कैसे योग व प्राकृतिक रूप से चिकित्सा पहुंचाई जा सकती है।

योगगुरू धीरज के सान्निध्य व मागर्दशन का लाभ

सबसे अच्छी बात सनातन के सात दिन के शिविर में ये है कि योगगुरू धीरज शिविर के दौरान लगातार आपके साथ उपलब्ध रहेगें। गुरूजी के सान्निध्य व मार्गदर्शन में दिनभर आप योग गंगा की धारा में डूबकी लगा पाएंगे। गुरू धीरज की निगरानी व निर्देशन में होने वाली हर दिन की साधना आपके अंदर बहुत कुछ अनायास से सुंदर कर देगा।

संक्षेप में कहें तो सनातान के सात दिन शिविर में आप योगरूपी सागर को गागर में प्राप्त कर पाएंगे। योग की बारीक समझ के साथ आप उन साधना पद्धति को सीखेंगे जो तन-मन का कायाकल्प और जीवन का पूर्ण रूपांतरण करेगा।

कैसे करें रजिस्ट्रेशन शिविर में ?

शिविर में रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया शुरु हो चुकी है। कुल 60 सीट आवासीय श्रेणी में रखे गए हैं। शिविर में अपना नाम दर्ज करने के लिए प्रत्येक साधक को कम से कम 5 हजार की राशि वशिष्ठ योग फाउंडेशन ट्रस्ट के एकाउंट में जमा करवानी होगी। चूंकि हम आवासीय प्रबंधन, योग अभ्यास हॉल व भोजन की अग्रिम बुकिंग अन्य स्थल कर एडवांस रकम देकर करवाते हैं तो सीट कंन्फर्मेशन की राशि रिफेंडेबल नहीं है। इमरजेंसी स्थिति में कैंसल होने पर उचित कारण होने का पता चलने पर अग्रिम बुकिंग राशि अगले शिविर के लिए बस ट्रांसफर हो सकेगी। अग्रिम राशि प्रदान करने के साथ आपको आश्रम के नंबर 6354 32 5086 पर स्क्रीनशॉट व आधार शेयर करना होता है, फिर आश्रम आगे की प्रक्रिया को अंजाम देती है।

Account Holder name – 
Vashistha Yoga Foundation
Punjab National Bank
PNB A.C. NO : 4889000100017945
IFS CODE :
PUNB0488900 
Branch – Sapath IV S.G Road, Ahmedabad – 380051

सात दिन रूपांतरण के- सनातन के 7 दिन , बहुत आभार . नमस्ते

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