आसन

सनातन तरीके से आसन की समझ विकसित करें। साथ ही जाने हर आसन के लाभ, सावधानियां और उसे सही तरीके से करने की विधि के वीडियो

प्राणायाम

प्राणायाम महज सांसों की गति नहीं बल्कि प्राण-जीवन शक्ति का भंडारण है। प्राणायाम की सही प्राचीन सीख से ना सिर्फ हम तन-मन के रोगों को दूर कर सकते हैं बल्कि आध्यात्मिक जागरण के भी बन सकते हैं गवाह

योग वीडियो
योगगुरु धीरज संग आगामी योग प्रशिक्षिण शिविर व अन्य कार्यक्रम
  • दिनांक: 1 से 15 April 2024

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    प्रशिक्षक: योग गुरु धीरज

    संपर्क: +91 9313730370

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वशिष्ठ योग आश्रम

प्राचीन योग वास्तविक स्वरूप में प्रकट

योगगुरू धीरज

सनातन योग के आधुनिक संरक्षक

योग गुरु धीरज ब्लॉग
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20 Apr: उछलकूद योग नहीं, Yog में Exercise की मिलावट – योगगुरु धीरज इंटरव्यू Nav Bharat Times News

प्राचीन समय में जब चिकित्सा के दूसरे पुख्ता इंतजाम नहीं थे, वैद्य या डॉक्टर या फिर चिकित्सालय व अस्पताल नहीं थे तब भी लोग योग के जरिए ज्यादा सेहतमंद व शांत थे। सनातन के ऋषियों-मुनियों ने उन पद्धति को तपबल से तलाश लिया था जिससे तन-मन का कायाकल्प तो होता ही था, दिव्य आध्यात्मिक शक्तियों को भी संजो कर रख पाते थे। ऋषियों ने पाया कि मानव कई प्राकृतिक व दूसरे किस्म के आघातों को झेलता रहा है और इन परेशानियों से गुजर कर शरीर ने जाना है कि खुद को कैसे स्वस्थ व शांत रखा जा सकता है। इन्हीं अनुभूतियों के आधार पर सनातन के योग का सृजन हुआ। 

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10 Dec: Yog Guru Dheeraj जन्मदिवस घोषित हुआ विश्व ध्यान दिवस World Meditation Day by United Nation

प्राचीन समय में जब चिकित्सा के दूसरे पुख्ता इंतजाम नहीं थे, वैद्य या डॉक्टर या फिर चिकित्सालय व अस्पताल नहीं थे तब भी लोग योग के जरिए ज्यादा सेहतमंद व शांत थे। सनातन के ऋषियों-मुनियों ने उन पद्धति को तपबल से तलाश लिया था जिससे तन-मन का कायाकल्प तो होता ही था, दिव्य आध्यात्मिक शक्तियों को भी संजो कर रख पाते थे। ऋषियों ने पाया कि मानव कई प्राकृतिक व दूसरे किस्म के आघातों को झेलता रहा है और इन परेशानियों से गुजर कर शरीर ने जाना है कि खुद को कैसे स्वस्थ व शांत रखा जा सकता है। इन्हीं अनुभूतियों के आधार पर सनातन के योग का सृजन हुआ। 

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03 Jul: वशिष्ठ योग : प्राचीन सनातन योग स्थापना संकल्प के 13 साल, योगगुरु धीरज तपश्चर्या संग

प्राचीन समय में जब चिकित्सा के दूसरे पुख्ता इंतजाम नहीं थे, वैद्य या डॉक्टर या फिर चिकित्सालय व अस्पताल नहीं थे तब भी लोग योग के जरिए ज्यादा सेहतमंद व शांत थे। सनातन के ऋषियों-मुनियों ने उन पद्धति को तपबल से तलाश लिया था जिससे तन-मन का कायाकल्प तो होता ही था, दिव्य आध्यात्मिक शक्तियों को भी संजो कर रख पाते थे। ऋषियों ने पाया कि मानव कई प्राकृतिक व दूसरे किस्म के आघातों को झेलता रहा है और इन परेशानियों से गुजर कर शरीर ने जाना है कि खुद को कैसे स्वस्थ व शांत रखा जा सकता है। इन्हीं अनुभूतियों के आधार पर सनातन के योग का सृजन हुआ। 

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16 Jun: विश्व योग दिवस : 25 से ज्यादा शहरों में वशिष्ठ योगाश्रम के निशुल्क योग शिविर

प्राचीन समय में जब चिकित्सा के दूसरे पुख्ता इंतजाम नहीं थे, वैद्य या डॉक्टर या फिर चिकित्सालय व अस्पताल नहीं थे तब भी लोग योग के जरिए ज्यादा सेहतमंद व शांत थे। सनातन के ऋषियों-मुनियों ने उन पद्धति को तपबल से तलाश लिया था जिससे तन-मन का कायाकल्प तो होता ही था, दिव्य आध्यात्मिक शक्तियों को भी संजो कर रख पाते थे। ऋषियों ने पाया कि मानव कई प्राकृतिक व दूसरे किस्म के आघातों को झेलता रहा है और इन परेशानियों से गुजर कर शरीर ने जाना है कि खुद को कैसे स्वस्थ व शांत रखा जा सकता है। इन्हीं अनुभूतियों के आधार पर सनातन के योग का सृजन हुआ।